“वर्चुअल दुनिया की हकीकत” — सतीश चन्द्र कॉलेज के छात्र ने जगाई उपन्यास की नई सोच

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बलिया। मोबाइल, सोशल मीडिया और डिजिटल नोटिफिकेशन से भरी दुनिया में जहां हर कोई “ऑनलाइन” रहने की होड़ में है, वहीं भीतर की शांति और रिश्तों की गहराई धीरे-धीरे खोती जा रही है। इसी आधुनिक संकट को बलिया के सतीश चन्द्र कॉलेज के छात्र और युवा लेखक अभिषेक मिश्रा ने अपने नए उपन्यास “Digital Depression: एक नई महामारी” के माध्यम से समाज के सामने रखा है।

यह उपन्यास सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि दो वर्षों के शोध, अनुभव और गहन अध्ययन का परिणाम है। इसमें लेखक ने यह दिखाया है कि कैसे डिजिटल युग में मनुष्य बाहरी जुड़ाव तो महसूस करता है, लेकिन भीतर से अकेलापन और मानसिक थकान बढ़ती जा रही है।

अभिषेक मिश्रा के अनुसार, “डिजिटल डिप्रेशन कोई कल्पना नहीं, बल्कि हमारी पीढ़ी की वास्तविक मानसिक समस्या है। लोग तकनीक के गुलाम बनते जा रहे हैं, और यह हमारी सोच, व्यवहार व रिश्तों पर गहरा असर डाल रही है।”

उपन्यास के मुख्य पात्र — आरव, अनाया और राजवीर — आधुनिक समाज के हर व्यक्ति का प्रतिबिंब हैं। ये पात्र यह दर्शाते हैं कि कैसे इंसान “कनेक्टेड” होते हुए भी भीतर से “डिसकनेक्टेड” है।

कहानी के माध्यम से लेखक ने न केवल युवाओं, बल्कि अभिभावकों और शिक्षकों को भी यह संदेश दिया है कि डिजिटल आदतों पर नियंत्रण और वास्तविक जीवन के साथ संतुलन बनाना अब अत्यंत आवश्यक है।

उपन्यास में शामिल कविता “डिजिटल युग का दर्द” पाठकों के दिल को छू जाती है। कविता की पंक्तियाँ —

> “मोबाइल की रोशनी में खो गया सवेरा,
अपनों के बीच अब मन हुआ अंधेरा।
हज़ारों ‘फॉलोअर’, पर कोई न पास,
दिल ढूँढे सुकून, पर मिले बस त्रास।”

— आज की वास्तविकता को मार्मिक ढंग से बयान करती हैं।

अभिषेक मिश्रा की यह रचना न केवल साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज के लिए एक चेतावनी और आत्ममंथन का आईना भी है।
यह पुस्तक युवा पीढ़ी को यह सोचने पर मजबूर करती है कि — क्या हम डिजिटल दुनिया को चला रहे हैं, या अब यह हमें नियंत्रित कर रही है?

अभिषेक का यह प्रयास न सिर्फ साहित्य में नई दिशा देता है, बल्कि यह मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक जुड़ाव पर सार्थक बहस को भी जन्म देता है।

📘 “Digital Depression: एक नई महामारी” — हर उस व्यक्ति के लिए आवश्यक पुस्तक है जो डिजिटल युग में खुद को पहचानने और संतुलित जीवन जीने की तलाश में है।

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