जिला अस्पताल में सांसें अटकीं, सात दिन से बिजली गुल – कल आ रहे स्वास्थ्य मंत्री, क्या देखेंगे हकीकत?

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बलिया। जिला अस्पताल का हाल इन दिनों किसी भयावह तस्वीर से कम नहीं है। यहाँ मरीज इलाज के बजाय सांसों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पिछले सात दिनों से बिजली गुल है। जनरेटर के सहारे अस्पताल किसी तरह चल रहा है, लेकिन कम वोल्टेज ने हालात और खराब कर दिए हैं। न तो मरीजों को ऑक्सीजन सही से मिल पा रही है, न पंखे और एसी चल रहे हैं, और न ही शुद्ध पानी उपलब्ध है।

यह हालात ऐसे समय में हैं जब प्रदेश के उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक शनिवार को बलिया जिले के दौरे पर आ रहे हैं। सवाल उठता है कि क्या अधिकारी मंत्री के सामने इस भयावह सच्चाई को रखेंगे या फिर चमक-दमक दिखाकर ‘सब सही है’ का राग अलापेंगे?

मरीजों की कराह, परिजनों की पुकार

अस्पताल में भर्ती मरीजों की हालत सोचने पर मजबूर कर देती है।
मनियर की 40 वर्षीय ज्ञानती देवी हार्ट की मरीज हैं। गुरुवार की रात अचानक सांस फूलने पर उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिजनों का कहना है कि मरीज को लगातार ऑक्सीजन की जरूरत है, लेकिन यहां ऑक्सीजन की आपूर्ति सही से नहीं हो रही।

बासपाली निवासी 70 वर्षीय रामनाथ राजभर इमरजेंसी वार्ड के बेड संख्या 8 पर भर्ती हैं। उनके नाती अनिल कुमार का कहना है कि मरीज को सांस लेने में दिक्कत है, छाती में दर्द है, लेकिन अस्पताल में ऑक्सीजन के अभाव से हालत और बिगड़ रही है।

चिरुआ की 80 वर्षीय लाली देवी भी सांस लेने की गंभीर समस्या से जूझ रही हैं। उन्हें मेडिकल वार्ड में भर्ती किया गया, लेकिन परिवारजन लगातार कह रहे हैं कि ऑक्सीजन की कमी मरीज की हालत को बिगाड़ रही है।

रुदलपुर निवासी 90 वर्षीय नान्हू यादव सोमवार से अस्पताल में भर्ती हैं। उनके पुत्र मिठू यादव का कहना है – “रविवार को अचानक सांस लेने में तकलीफ हुई तो अस्पताल आए, लेकिन यहां तो मरीज को सही से ऑक्सीजन ही नहीं मिल पा रही। हालत और खराब हो गई है।”

सात दिन से अंधेरे में जिला अस्पताल

जिला अस्पताल में सात दिनों से बिजली आपूर्ति ठप है। पावर हाउस से कोई मदद नहीं मिल रही। मजबूरी में अस्पताल को जनरेटर से चलाया जा रहा है। लेकिन वोल्टेज इतना कम है कि ऑक्सीजन प्लांट और मशीनें सही से काम नहीं कर पा रही हैं। नतीजा – मरीजों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल रही।

इसके अलावा न पंखे और एसी चल पा रहे हैं और न ही शुद्ध पानी की आपूर्ति हो रही है। गर्मी और उमस के बीच मरीज और उनके परिजन परेशान हैं। परिजन जगह-जगह शिकायत कर रहे हैं, लेकिन सुनवाई कहीं नहीं हो रही।

सीएमएस की सफाई

इस पूरे मामले पर जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. एस.के. यादव ने कहा – “सात दिनों से लाइट की समस्या चल रही है। जनरेटर से बिजली सप्लाई की जा रही है। मरीजों को सुविधा देने का प्रयास किया जा रहा है।”
हालांकि यह सफाई सवाल खड़े करती है कि जब जनरेटर से पूरा अस्पताल नहीं चल पा रहा तो इतने बड़े जिले के अस्पताल को सिर्फ ‘कोशिशों’ के भरोसे क्यों छोड़ दिया गया है?

मंत्री दौरे से पहले अधिकारियों में हड़कंप

इस बीच शनिवार को उपमुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक का बलिया आगमन तय है। यह खबर सामने आने के बाद जिले के स्वास्थ्य विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है। सबको डर है कि अगर अस्पताल का यह हाल मंत्री के सामने खुला तो सीधे जिम्मेदारी तय होगी। यही वजह है कि अधिकारी अब आनन-फानन में व्यवस्थाएं ठीक करने की जुगत में लग गए हैं।

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या मंत्री जी के सामने वास्तविक तस्वीर दिखाई जाएगी? क्या उन्हें मरीजों की कराह और परिजनों की बेबसी सुनाई जाएगी? या फिर ‘सब ठीक है’ के नाम पर सिर्फ कागजों में सुधार दिखाकर आंखों में धूल झोंकी जाएगी?

सवालों के घेरे में स्वास्थ्य तंत्र

बलिया जिला अस्पताल का हाल साफ बताता है कि स्वास्थ्य तंत्र किस कदर लचर हो चुका है। सात दिन से बिजली ठप, ऑक्सीजन की आपूर्ति अधर में, मरीज कराहते हुए, और अधिकारी सिर्फ बयानबाजी में लगे हुए हैं।

बलिया की जनता अब उम्मीद लगाए बैठी है कि उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री जब कल जिले का दौरा करेंगे तो इस सच्चाई को भी देखेंगे। क्योंकि अगर इस समस्या को नजरअंदाज किया गया तो यह सिर्फ अस्पताल की नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की विफलता मानी जाएगी।

 

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